Tuesday, May 5, 2009

मेरी ड्रेस का अब क्या होगा...?
आज सुबह -सुबह श्रीमती जी को न जाने क्या हुआ कि अखबार हाथ में लिऐ हमारे पास आई और बोली- आज का अखबार पढा आपने......! हम चकराऐ - भाग्यवान आज भला ऐसा क्या तूफान आगया जो तुम सुबह-सुबह इतनी परेशान हो रही हो...। वे तपाक से बोली - परेशानी की तो बात ही है जे डी बी गर्ल्स कालेज में इस साल से ड्रेस कोड लागू होगा। हमने कहा - भला इसमें परेशान होने वाली क्या बात है बल्की यह तो अच्छी बात है कि कालेज में ड्रेस कोड लागू होगा ..।हमारी तरफ से उनकी बात को समर्थन नहीं मिलना शायद उन्हें अच्छा नहीं लगा। वे तपाक से बोली-क्या खाक अच्छी बात है ........तुम्हें मालूम है कि हमारी बिटिया ने बडे चाव से दो दर्जन नई ड्रेस सिलवाई थी, अब हो गई न सारी की सारी बेकार.........!हम परेशान भला कालेज जाने के लिऐ दो दर्जन ड्रेस.........?हमने कहा- श्रीमती जी कालेज जाने के लिऐ भला इतनी सारी ड्रेस सिलवाने की क्या जरूरत थी..?-तो आप क्या चाहते हैं कि हमारी बेटी दो जोडी कपडों में ही साल भर निकाल दे...?-भाग्यवान कालेज में लडकियों को हम पढ़्ने के लिऐ भेजते हैं या ड्रेस की नुमायश करने...?-आपकी समझ में ये बातें नहीं आने वाली स्कूल में तो बरसों यह मुई ड्रेस बच्चियों के पीछे पडी ही रहती थी अब कालेज में भी पीछा नही छोड रही है। बच्चियों का भी मन करता है कि थोडा अच्छा पहनें....आखिर हमारी बेटियों के भी तो कुछ अरमान हैं कि नहीं.....। यदि ये कालेज में ही मनपसन्द का नहीं पहिन सकेगी तो भला कब पहनेगीं.......?-देवी जी छात्राऐं कालेज में पढ़्ने के लिऐ जाती हैं या फिर अपनी ड्रेस दिखाने के लिऐ.....? पहिनने ओढ़ने के लिऐ तो सारी जिंदगी पडी है...... कम से कम पढ़्ने के समय , ड्रेस का चक्कर छोड्कर यदि पढ़ाई में ज्यादा ध्यान दिया जाऐ तो बहतर होगा...इन लडकियों के लिऐ भी और उनके मॉ-बाप के लिऐ भी....?-मर्दों को तो बेचारी बच्चियों का क्या पूरी महिला बिरादरी का ही पहिनना ओढ़्ना अच्छा नहीं लगता है......!अब भला मैं इन्हें कैसे समझाऊँ कि कालेज में लडकियां आजकल ऐसे ऐसे कपडे पहिन कर जाती हैं जिसे देखकर कभी कभी लगता है जैसे कि यह कालेज न होकर कोई फैशन शॊ का स्टेज हो.....?जो समृद्ध हैं वे तो अपनी अमीरी का प्रदर्शन करती ही हैं लेकिन मध्यम वर्ग और कमजोर तबके के लोगों के लिऐ अपनी बेटियों की जरूरते पूरी करना कई बार बूते से बाहर हो जाता है जिससे कुछ छात्राओं के मन में हीन भावनाऐं जन्म लेने लगती हैं। ऐसी स्थिति में कालेज स्तर पर भी ड्रेस लागू करने में भला बुराई भी क्या है....! लेकिन फिर भी पसन्द अपनी -अपनी ख्याल अपना- अपना....हम भला क्यों दाल भात में मूसल चन्द बने.....।

3 comments:

  1. ड्रेस कोड से लडको को तकलीफ हो न हो , लडकियों को तो हो ही जाती है .. अच्‍छा लिखा है।

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  2. Dress code par ladkon ko bhi takleef hoti hai.. :D

    Very Interesting Write Up..

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  3. sahi hai ... pasand apni apni,[8)]

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