Sunday, March 15, 2009

पुलिस जी की चोरी पकडी गई

पुलिस जी की चोरी पकड़ी गई

कानून- व्यवस्था,अमन - चैन,आदि ऐसे जुमले हैं जिसका आभास आम आदमी को होता रहे इसके लिऐ हमारे देश में एक अलग से ही विभाग है ।देश की सीमा पर देश की रक्षा करने के लिऐ अलग सीमा प्रहरी हैं तो देश के अंदर की देखभाल के लिऐ अलग महकमे को जिम्मेदारी सौपी गई है। अब कहीं भी चोरी हो जाऐ या कहीं ड़केती पड़ जाऐ हम तुरन्त ही ऐसी स्थिती में पुलिस जी को याद करते हैं ।कहीं भी कोई भी अपराध हुआ हो, या बलवा हुआ हो , आतंकी किसी के घर में घुस गया हो या कि कोई अनैतिक काम ही क्यॊं न हुआ हो ऐसी स्थिती में हमें पुलिस जी की ही याद आती है।बुरे वक्त में या तो लोग भगवान कॊ ही याद करतें हैं या फिर पुलिस को ।
भगवान क्योंकि आपकी सुनेगा नहीं सबको मालूम है और पुलिस को सुनना ही है।पुलिस के पास ड़ंड़ा भी है जो वक्त जरूरत अपना कमाल भी दिखाता है ।वैसे कहते भी है कि भय बिन प्रीत न होय गोपाला ।अब यह बात गोपाला की समझ में कितनी आई है या नहीं क्या पता लेकिन मुझे तो पुलिस से बड़ा ड़र लगता है।जब भी कहीं कोई खाकी वर्दी वाला दिख जाता है तो मैं तो दूर से प्रणाम कर साइड़ से निकल जाना ही बहतर समझता हूँ।
अमन चैन बना रहे,सभी को सुख शांती की साँसॊं का आभास होता रहे।चोरी चकारी आदि अपराधिक गतिविधियों पर अंकुश लगा रहे इसके लिऐ पुलिस का ड़ंड़ा भी जरूरी है।
जब भी कभी गली मोहल्ले,या फिर देश के किसी भी कोने में कोई घटना दुर्घटना ,अराजकता जैसी कोई भी स्थिती आती है पुलिस नामक यह जीव तुरंत आपनी ड्‌यूटी पर लग जाता है । हालाँकि कुछ लोगों को यह शिकायत रहती है कि पुलिस जी वहाँ देर से पहूँची ।लेकिन मैं कहता हूँ कि पहुँच तो गई । नहीं भी पहुँचेगी तो भला कोई क्या कर लेगा ।
लेकिन अब यहाँ समस्या दूसरे किस्म की पैदा हो गई। राजस्थान विद्युत निगम की मानें तो पुलिस जी चोर है ! है न अचरज की बात । चोरी भी की गई सामोहिक रूप से ।बात कुछ हजम होने वाक्ली तो नहीं है पर हम भी क्या करें, बॉरा जिला हेडक्वाटर पर ही बिजली अभियन्ता ने रंगे हाथों पुलिस लाइन के जवानों को बिजली चोरी करते पकड़ा । ऐसा समाचार अखबार में पढ़कर हम भी सन्न रह गये ।
जब पुलिस ही चोरी में लिप्त हो तो एसी अवस्था में आप और हम भला किसी चोर की शिकायत करने कहाँ जाऐगें प्रश्न वास्तव में विचारणीय है । वैसे इसका मतलब यह नहीं है कि पुलिस चोर होती है ।युँ भी भला मेरी क्या औकात कि मैं पुलिस को चॊर कहूँ।पुलिस को चोर तो विद्युत निगम के एक अदने से अभियन्ता ने कहा है ।
अजी कहा क्या है उन्होंने तो चोरी करते हुऐ पकड़ा है ।साथ में फोटो भी अखबार में छपा है, समाचार भी हैकि बॉराजिला हेडक्वार्टर पुलिस लाइन में ढ़ाई दर्जन आवासों में विद्युत चोरी की बात सरे आम अभियन्ता जी ने कही है और फोटो छपाई है सो अलग ।या यूँ कहें कि इन्होंने बाकायदा पुलिस को ही चोरी करते हुऐ दिखाया है ।अब आप ही बताऐ कि अभियन्ता जी का अब क्या होगा ?वैसे चोर पकड़ने वालों को ही चोरी करते पकडना और फिर सिपाही से लेकर आला अफसर तक की एक न सुनना वास्तव में है तो दिलेरी का काम।
अब प्रश्न उठता है कि आगे क्या होगा ?असली बात है जुर्माना वसूल करने की...---?क्योंकि पुलिस तो भैय्या पुलिस है।अब क्या होगा पुलिस जी का और उस अभियन्ता का जिसने पुलिस के आला अफसरों तक की एक नहीं सुनी क्योंकि बेचारे अभियन्ता जी को तो पुलिस के आला अधिकारी तक ने धमका दिया था जबकि गलत काम के लिऐ पुलिस कर्मियों को ड़ाटना चाहिऐ था ।
दाद देनी होगी अभियन्ता जी की दिलेरी को जॊमक्खियों के छत्ते में हआथ डालने का साहस कर सके ।उन्होंने सभी धमकियों को दरकिनार कर बिजली चोरी का मामला बना ही दिया और एक लाख दस हजार का जुर्माना भी ठोक दिया ।अब सवाल यह खडा होत है कि जब चोर पकडने वाला ही खुद ही चोरी करता हुआ पकडा जाय तो अब चोर को कौन पकडेगा। अब भला पुलिस जी चोर को किस मूह से आँखे दिखायेगी ।

डॉ .योगेन्द्र मणि

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